शनिवार, 26 दिसंबर 2015

काबुल में कर उद्घाटन ,मोदी का लाहौर में आना , कूटनीति के नए पाठ से ,यह पाकिस्तान को समझाना , काबुल से भारत के रिश्ते को ,पाक अगर स्वीकार करे , तो कहीं कोई टकराव नहीं है ,संबंधों में ठहराव नहीं है। मिलकर सारी बातें होंगी ,कहीं कोई भटकाव नहीं है।

हाफ़िज़ और कांग्रेस का रिश्ता -डॉ. वागीश मेहता (गुडगाँव )

हाफ़िज़ और कांग्रेस का रिश्ता -डॉ. वागीश मेहता (गुडगाँव )

काबुल में कर उद्घाटन ,मोदी का लाहौर में आना ,

कूटनीति के नए पाठ से ,यह पाकिस्तान को समझाना ,

काबुल से भारत के रिश्ते को ,पाक अगर स्वीकार करे ,

तो कहीं कोई टकराव नहीं है  ,संबंधों में ठहराव नहीं है। 

मिलकर सारी बातें होंगी ,कहीं कोई भटकाव नहीं है। 

नोट :इस लम्बी कविता को कल पढ़ियेगा  विस्तार से। 

वीरुभाई !

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