बुधवार, 16 दिसंबर 2015

संसद ठप्प करने का काम, कैसा आसन ,कैसा प्रधान , जिन्होनें हमको चुनकर भेजा , दिया यही पैगाम , ऐसी तैसी सबकी करने , देश का जीना करो हराम , करते हम निष्काम भाव से , फिर क्यों मुफ्त हुए बदनाम , कि कौरव दल का बढ़ेगा मान।

देश के वर्तमान परिदृश्य पर पढ़िए डॉ.वागीश मेहता जी की कविता

देश के वर्तमान परिदृश्य पर पढ़िए डॉ.वागीश मेहता जी की कविता। मतिमंद शहजादे का विरोध संसद में कौरव दल  द्वारा राष्ट्रके आहत मन की पहली प्रतिक्रिया है।  

संसद  ठप्प करने का काम,

कैसा आसन ,कैसा प्रधान ,

जिन्होनें हमको चुनकर भेजा ,

दिया यही पैगाम ,

ऐसी तैसी सबकी करने ,

देश का जीना   करो    हराम ,

करते   हम  निष्काम भाव से ,

फिर क्यों मुफ्त हुए बदनाम ,

कि कौरव दल का बढ़ेगा मान। 

               (२)

न डरते हम कभी किसी से ,

कि अपना खानदान बलवान ,

जिस मुखबिर को पाक में भेजा ,

था लाया यही फरमान ,

हो हल्ले में जान फूंक दो ,

कि कर  दो संसद को हलकान,

कैसा  लोक और  तंत्र है कैसा ,

भारत हो जाए बदनाम ,

कि कौरव दल का बढ़ेगा मान। 

करे शहीदों का अपमान ,

यूं  पीढ़ी दर पीढ़ी उसके ,

पुरखे  करते थे ये काम ,

हो अँगरेज़ या मुगली  शासन , 

 शीश  झुकाए   खबरें देना ,

और करते फर्शी सदा सलाम ,

कि बढ़ेगा कौरव दल का मान। 

                (४)

हल्ला बोलें बिना प्रयोजन ,

न कोई लेंगे अल्प विराम ,

हाईकमान की ऐसी मंशा ,

हम तो ताबे हुकम  गुलाम ,

वर्णसंकर है वंश हमारा ,

गूगल दर्ज़ सभी प्रमाण ,

कौन है गाज़ी ,कौन गंगाधर ,

क्योंकर  डीएनए पहचान  ,

कि कौरव दल  का बढ़ेगा मान। 

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