गुरुवार, 22 अक्तूबर 2015

ज़ाकिर भाई शुद्ध तर्क के आधार पर यह पूछा जा सकता है कि जब गाय देश के मुसलमानों को बेवजह मौत देती है तो अपनी मौत को दावत देने के लिए वह गाय पालते ही क्यों हैं। आप तो एक बड़े लखनऊ शहर में रहते हैं किसी नामचीन इमाम से फतवा जारी करवा दो कि मुसलमान आइन्दा गाय का दूध न पिया करें। भैंस का दूध पीया करें क्योंकि बकौल आपके गाय जीवन छीनकर मौत देती है और भैंस जीवन देती है। भैंस का कटड़ा भी जीवन देता है। इससे दुनियाभर के उन मुसलमानों का बड़ा हित हो जाएगा जहां जहां उनके द्वारा गाय पाली जातीं हैं।


ज़ाकिर भाई शुद्ध तर्क के आधार पर यह पूछा जा सकता है कि जब गाय देश के मुसलमानों को बेवजह मौत देती है तो अपनी मौत को दावत देने के लिए वह गाय पालते ही क्यों हैं

ज़ाकिर भाई मनुष्य होने के नाते हमारे विचार ऐसे हों जिनसे हमारे आसपास एक अनुकूल परिवेश पैदा हो ,कोई आहत न हो हमसे ,कोई विचलित न हो। आपकी ये पोस्ट अनेकों को विचलित करेगी ऐसा मेरा मानना है। क्योंकि ये आग्रह मूलक है। अदबदाके लिखी गई है। आल इंडिआ साइंस ब्लॉगर्स अशोशिएशन का एक ब्लागर होने के नाते आपसे प्राथना कर रहा हूँ आप इस पोस्ट को शीघ्र हटालें। आप इस संस्था के सचिव हैं।

ज़ाकिर भाई शुद्ध तर्क के आधार पर यह पूछा जा सकता है कि जब गाय देश के मुसलमानों को बेवजह मौत देती है तो अपनी मौत को दावत देने के लिए वह गाय पालते ही क्यों हैं। आप तो एक बड़े लखनऊ शहर में रहते हैं किसी नामचीन इमाम से फतवा जारी करवा दो कि मुसलमान आइन्दा गाय का दूध न पिया करें। भैंस का दूध पीया करें क्योंकि बकौल आपके गाय जीवन छीनकर मौत देती है और भैंस जीवन देती है। भैंस का कटड़ा भी जीवन देता है। इससे दुनियाभर  के उन मुसलमानों का बड़ा हित  हो जाएगा जहां जहां उनके द्वारा गाय पाली जातीं हैं। 

भैया जी भूलकर भी गाय का दूध न पियें भले कोई हकीम तुर्कमान बीमार होने पर आपको तज़वीज़ करे। 
Parul Sharma और Pradeep Gupta को यह पसंद है.
टिप्पणियाँ
Pradeep Gupta Hashmat Alam जी! आपकी पोस्ट सच्चाई से दूर, अत्यंत आपत्तिजनक और उकसाने वाली है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें